या कुन्देदु-तुषार - हार धवला या शुभ्रवस्त्रावता,
या वीणावरदण्ड-मंडितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्, देवैः सदा- वंदिता,
सा मां पातु सरस्वती भवगती निःशेषजाड्यापहा।
शुक्लां ब्रह्मविचार- सारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीम्,
वीणापुस्तकधारिणीमऽभयदां जाड्यान्धकरापहाम्।
हस्ते स्फाटिक- मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भवगतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।
वसंत-पंचमी पर्व की हार्दिक शुभ कामनायें।
माँ सरस्वती आपके परिवार पर अपना आशिर्वाद सदैव बनाये रखेँ।